पंडित राम नंदन मिश्रा (27 मार्च, 1904 - 24 जुलाई, 1974)
पंडित राम नंदन मिश्रा (27मार्च,1904 -24जुलाई, 1974) भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक ऐसे अनमोल रत्न थे जिन्होंने न केवल ब्रिटिश उपनिवेशवाद के खिलाफ अथक संघर्ष किया, बल्कि स्वतंत्र भारत में एक समतावादी समाज के निर्माण और ग्रामीण उत्थान के लिए भी अपना जीवन समर्पित कर दिया। उनका जीवन त्याग, संघर्ष और जनसेवा का एक अनुपम उदाहरण है। प्रारंभिक जीवन, शिक्षा और वैचारिक जड़ें पंडित राम नंदन मिश्रा का जन्म 27 मार्च, 1904 को बिहार के मधुबनी ज़िले के सरिसब-पाही गांव में एक प्रतिष्ठित ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा स्थानीय पाठशाला में हुई, जहाँ उन्होंने संस्कृत और पारंपरिक ज्ञान अर्जित किया। उच्च शिक्षा के लिए वे बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) गए, जो उस समय राष्ट्रीय चेतना और बौद्धिक गतिविधियों का एक प्रमुख केंद्र था। BHU में अध्ययन के दौरान वे महात्मा गांधी के अहिंसक आंदोलन और राष्ट्रवाद के विचारों से गहराई से प्रभावित हुए। उन्होंने अपनी पढ़ाई छोड़कर असहयोग आंदोलन (1920-22) में सक्रिय रूप से भाग लिया, जो उनके जीवन की दिशा को परिभाषित करने वाला क्षण था। यही...