फखरुद्दीन अली अहमद (13 मई 1905- 11 फरवरी 1977 )

फखरुद्दीन अली अहमद (13 मई 1905- 11 फरवरी 1977 )


परिचय:
फखरुद्दीन अली अहमद भारत के पाँचवें राष्ट्रपति थे, जिनका कार्यकाल राजनीतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण रहा। वे भारतीय राजनीति के एक सम्मानित, अनुभवी और दूरदर्शी नेता माने जाते हैं। उनका कार्यकाल विशेष रूप से आपातकाल (1975-77) के संदर्भ में ऐतिहासिक रहा है।

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा:
फखरुद्दीन अली अहमद का जन्म 13 मई 1905 को दिल्ली में हुआ था। उनके पिता कर्नल जलालुद्दीन अहमद असम सरकार में एक वरिष्ठ चिकित्सक थे। उनकी शिक्षा प्रारंभिक रूप से अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी और फिर कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी (सेंट कैथरीन कॉलेज) में हुई। वे इंग्लैंड में ही ग्रेज़ इन से कानून की पढ़ाई कर भारत लौटे।

राजनीतिक जीवन:
फखरुद्दीन अली अहमद ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत 1931 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के साथ की। उन्होंने महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन में भाग लिया और स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय योगदान दिया। उन्हें स्वतंत्रता संग्राम के दौरान जेल भी जाना पड़ा।

भारत की स्वतंत्रता के बाद उन्होंने विभिन्न महत्वपूर्ण प्रशासनिक और मंत्री पदों पर कार्य किया:

  • 1957 में असम से लोकसभा सदस्य बने।
  • 1966 से 1974 तक वे केंद्रीय मंत्री रहे और खाद्य, कृषि, उर्वरक, औद्योगिक विकास, कंपनी कानून, आदि विभागों का कार्यभार संभाला।
  • वे इंदिरा गांधी के विश्वासपात्र नेताओं में गिने जाते थे।

राष्ट्रपति पद:
20 अगस्त 1974 को वे भारत के पाँचवें राष्ट्रपति बने। वे दूसरे मुस्लिम राष्ट्रपति थे (पहले राष्ट्रपति डॉ. जाकिर हुसैन थे)। राष्ट्रपति पद पर रहते हुए उन्होंने अनेक संवैधानिक चुनौतियों का सामना किया, जिनमें सबसे महत्वपूर्ण था – आपातकाल (Emergency)

25 जून 1975 को प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सिफारिश पर उन्होंने आपातकाल की घोषणा पर हस्ताक्षर किए। इसके लिए उन्हें आज भी आलोचना और चर्चा का विषय बनाया जाता है, क्योंकि उस निर्णय का भारत के लोकतंत्र पर गहरा प्रभाव पड़ा।

निधन:
फखरुद्दीन अली अहमद का निधन 11 फरवरी 1977 को राष्ट्रपति पद पर रहते हुए हुआ। वे भारत के ऐसे दूसरे राष्ट्रपति थे जिनकी मृत्यु कार्यकाल के दौरान हुई (पहले थे डॉ. जाकिर हुसैन)। उनका अंतिम संस्कार जामिया मिलिया इस्लामिया, नई दिल्ली के पास स्थित उनकी समाधि पर किया गया, जिसे "फखर-ए-हिंद" कहा जाता है।

योगदान और स्मृति:

  • उन्होंने भारतीय राजनीति में एक सौम्य, सुलझे हुए और ईमानदार नेता के रूप में अपनी पहचान बनाई।
  • राष्ट्रपति के रूप में उन्होंने भारतीय संविधान की गरिमा को बनाए रखने का प्रयास किया, यद्यपि आपातकाल का निर्णय विवादास्पद रहा।
  • उनकी स्मृति में डाक टिकट जारी किया गया तथा अनेक संस्थानों और सड़कों के नाम उनके नाम पर रखे गए।

निष्कर्ष:
फखरुद्दीन अली अहमद भारतीय गणराज्य के ऐसे राष्ट्रपति थे जिनका कार्यकाल एक संवेदनशील दौर से गुजरा। वे एक विद्वान, संवैधानिक जानकार और विनम्र राजनेता थे। उनका जीवन भारतीय राजनीति और लोकतंत्र के इतिहास का एक महत्वपूर्ण अध्याय है।


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