जलियांवाला बाग नरसंहार (13 अप्रैल 1919)

जलियांवाला बाग नरसंहार (13 अप्रैल 1919)


भारत के ऐतिहासिक पृष्ठभूमि आ राजनीतिक परिवेश

1919 ई० क भारत असंतोष आ असुरक्षाक चपेट मे छल। एक दिस पहिल विश्वयुद्ध समाप्त भ गेल छल, जाहि मे ब्रिटिश सेना के संग भारतीय सैनिक सेहो भाग लेने छल, दोसर दिस देशवासी के आशा छल जे एहि योगदान के बदला में हुनका सब के स्वशासन या कोनो तरहक राजनीतिक स्वतंत्रता भेटत। मुदा एकर उल्टा भेल – ब्रिटिश सरकार रोलाट एक्ट पास केलक ।

रोलट अधिनियम (1919)


ई कानून सर विलियम   रौलट  के नेतृत्व वाला समिति के सिफारिश पर आनल गेल छल ।  एकर अनुसार कोनो व्यक्ति के बिना वारंट के गिरफ्तार क बिना मुकदमा के जेल भेजल जा सकैत छल। ई कानून न्याय, स्वतंत्रता आ मानव अधिकार के खिलाफ छेलै। जेकरा महात्मा गांधी "काला कानून" कहलकै। 

देश भरि मे एहि कानून क विरोध भेल। एकर सबस ज्यादा विरोध पंजाब म॑ देखलऽ गेल, अमृतसर में  सैन्य शासन  पहिने स॑  लगा देल छेलै ।

 अमृतसर में आंदोलन आ नेताक गिरफ्तारी

13 अप्रैल 1919 स किछु दिन पहिने अमृतसर मे रोलाट एक्ट क खिलाफ शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन भ रहल छल। दुटा लोकप्रिय एवं प्रभावशाली नेता छलाह डॉ. सत्यपाल आ डॉ. सैफुद्दीन किचलू क॑ ब्रिटिश प्रशासन न॑ गिरफ्तार कक॑ गुप्त रूप स॑ कश्मीर भेजलकै ।

एहि अन्याय के खिलाफ शहर मे व्यापक आक्रोश छल। लोक प्रदर्शन केलक आ शांतिपूर्ण विरोध करबाक प्रयास केलक। मुदा प्रशासन प्रदर्शनकारी पर गोली चला देलक जाहि मे बहुत लोकक मौत भ गेल। एकरऽ बाद शहर में कर्फ्यू लगाय देलऽ गेलै परन्तु  एकरऽ जानकारी आम जनता के स्पष्ट रूप स॑ नै देलऽ गेलै ।

 जलियानवाला बाग : नरसंहार के स्थल

जलियानवाला बाग एकटा एहन गाछी छल जकर प्रवेश द्वार संकीर्ण आ चारू कात ऊँच देबाल छल, जे अमृतसर शहरक बीचोबीच अवस्थित छल | 13 अप्रैल 1919 के बैसाखी के अवसर पर हजारों पुरुष, महिला, बुजुर्ग आ बच्चा सब एतय जमा भ गेल छल, किछु लोक एहि पावनि मनाबय लेल आ किछु गोटे रोलाट एक्ट आ अपन नेता के गिरफ्तारी के खिलाफ मीटिंग में भाग लेबय लेल आयल छलाह।

जनरल डायर के क्रूर योजना 


जखन ब्रिगेडियर जनरल डायर एहि सभा क जानकारी भेटल त ओ करीब 50 सैनिक क संग ओतय पहुंचलाह। हुनका लग राइफल धारण करय बला सिपाही छलनि, जाहि मे किछु गोटे संग मशीनगन सेहो छलनि। बिना कोनो चेतावनी के ओ गाछी के एकमात्र निकास बंद क देलखिन आ अपन सिपाही सब के आदेश देलखिन जे जा धरि गोली खतम नै भ जायत भीड़ पर गोली चलाबथि।

 नरसंहार : मृत्यु आ दुखक दृश्य

10 मिनट तक चलल एहि फायरिंग मे 1650 राउंड गोली चलि गेल। ओतय उपस्थित लोक सब भागय लेल देबाल पर चढ़य लागल, किछु गोटे एकमात्र संकीर्ण बाट स बाहर निकलबाक प्रयास केलक, जखन कि बहुतो जमीन पर खसि पड़ल। 120 स बेसी लोक अपन जान बचबाक लेल गढ़ा में कूदि गेलाह, मुदा ओतहि हुनकर मौत भ गेल।

सरकारी आंकड़ा 


अंग्रेज सरकारके अनुसार 379 गोटेके मृत्यु भेल अछि आ 1100 गोटे घायल भेल अछि ।
भारतीय नेता आ प्रत्यक्षदर्शी के अनुसार : एक हजार स बेसी लोक के मौत भ गेल।

देश-विदेश मे प्रतिक्रिया

ई भयावह घटना पूरा देश के हिला देलक।

रवीन्द्रनाथ टैगोर अपन ‘सर’ उपाधि वापस कयलनि आ सांकेतिक रूप सँ ब्रिटिश ताज सँ अलग हेबाक विरोध केलनि।

अखन धरि अंग्रेज सरकारक न्याय मे विश्वास करयवला महात्मा गांधी एहि आस्था केँ गमा लेलनि आ पूर्ण स्वतंत्रताक दिशा मे लड़बाक संकल्प लेलनि ।


ब्रिटेन मे प्रतिक्रिया 


ओना त ब्रिटिश संसद मे एहि घटना क आलोचना भेल मुदा किछु ब्रिटिश लोक डायर क समर्थन केलथि । अंततः ब्रिटिश सेना सँ सेवानिवृत्त भ गेलाह, मुदा सजा नहि भेटलनि ।

 हंटर कमीशन आ न्याय के व्यंग्य

अंग्रेज सरकार एकटा जांच आयोग बनौलक, जकरा हंटर कमीशन कहल गेल। हालांकि आयोग डायर केरऽ ई हरकत के “गलत” बतैलकै, लेकिन कोनो कठोर सजा नै देलऽ गेलै । जाँच आ न्यायक ई प्रक्रिया भारतीयक लेल मात्र औपचारिकता बनि गेल ।

अमर बलिदान : साहित्य, कला, एवं स्मारकों में

जलियानवाला बाग आइ एकटा राष्ट्रीय स्मारक अछि, जतय शहीदक स्मृति मे एकटा लौ सदा के लेल जरैत अछि | एखनो देबाल पर गोलीक निशान देखल जा सकैत अछि। जाहि इनार मे लोक कूदि गेल छल ओ एखनो सुरक्षित अछि।

ई घटना साहित्यकार, चित्रकार आ फिल्म निर्माता पर सेहो प्रभावित केलक । एकरऽ संदर्भ खुशवंत सिंह केरऽ उपन्यास, सुभद्रा कुमारी चौहान आरू रामधारी सिंह ‘दिनकर’ केरऽ कविता  छै ।                           

जलियानवाला  बाग नरसंहार , सिर्फ एकटा भयावह त्रासदी अछि बल्कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम मे एकटा मोड़ सेहो अछि जतय भारतीय लोकनि अंग्रेज शासन सं कोनो तरहक समझौताक आशा छोड़ि देलनि। ई घटना हमरा सब के सिखाबैत अछि जे कतेक निर्दोष लोक स्वतंत्रता के बाट पर अपन जान के बलिदान देलक।

ई गाछी आइयो हर भारतीय के याद दिलाबैत अछि जे हमरा सब के अपन स्वतंत्रता ठीक ओहिना नहि भेटल – एकर पाछू बलिदान के एकटा लंबा श्रृंखला अछि।

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