मिथिला का इतिहास भाग-1

 मिथिला का इतिहास भाग-1

मिथिला राज्य का सर्वप्रथम उल्लेख शतपथ ब्राह्मण में मिलता है।इसके अलावा मिथिला राज्य का उल्लेख वाल्मिकी रामायण ,महाभारत, पुराण, जैन तथा बौद्ध साहित्यों मे भी मिलता है।
वाल्मिकी रामायण में मिथिला-
प्राचीन काल में निमि नामक एक राजा थे।वे महापराक्रमी एवं तीनों लोकों में विख्यात थे। राजा निमि के पुत्र का नाम मिथि था।मिथि के पुत्र का नाम जनक था। इन्हें ही मिथिला के पहले जनक के रुप में जाना जाता है।इन्हीं के नाम पर इस वंश के प्रत्येक राजा जनक कहलाते थे। जनक के पुत्र का नाम उदावसु था। उदावसु के पुत्र नन्दिवर्धन थे।नन्दिवर्धन के पुत्र का नाम सुकेतु था। सुकेतु के पुत्र देवरात हुए और देवरात के पुत्र का नाम वृहद्रथ था।वृहद्रथ के पुत्र महावीर हुए और महावीर के पुत्र सुधृति थे।सुधृति के पुत्र धृष्टकेतु थे।धृष्टकेतु के पुत्र का नाम हयेश्व था। हयेश्व के पुत्र मरु,मरु के पुत्र प्रतीन्धक तथा प्रतीन्धक के पुत्र कीर्तिरथ थे। कीर्तिरथ के पुत्र देवमीढ़, देवमीढ़ के विबुध तथा विबुध के पुत्र महीध्रक हुए।महीध्रक के पुत्र कीर्तिरात और कीर्तिरात के महारोमा नामक पुत्र हुए।महारोमा से स्वर्णरोमा,स्वर्णरोमा से हृस्वरोमा हुए। हृस्वरोमा के दो पुत्र हुए प्रथम राजा जनक जो सीता तथा उर्मिला के पिता थे।द्वितीय कुशध्वज जो मण्डवी तथा श्रुतकीर्ति के पिता थे।
महाभारत काल में मिथिला-
महाभारत में मगध के उत्तर भाग में मिथिला की स्थिति मानी जाती है। श्रीकृष्ण, अर्जुन तथा भीम की मगध-यात्रा का वर्णन करते हुए पहले सरयू नदी पार करके पूर्वी कौशल प्रदेश तथा फिर महाशोण,गण्डकी और सदानीरा को पार करके मिथिला जाने का उल्लेख है। इससे यह स्पष्ट है कि मगध के उत्तर में मिथिला होगी।वज्जि प्रदेश (वैशाली राज्य) मिथिला के अन्तर्गत रहा होगा।
वृहद्विष्णु पुराण में मिथिला- 
    पूर्व में कोशी से आरम्भ होकर पश्चिम में गंडकी तक 24 योजन तथा दक्षिण में गंगा नदी से आरम्भ होकर उत्तर में हिमालय वन(तराई प्रदेश) तक 16 योजन मिथिला का विस्तार मिलता है।
बौद्ध साहित्य में मिथिला-
     बुद्ध के जन्म के पूर्व छठीं शताब्दी ईसा पूर्व में भारत वर्ष 16 महाजनपदों में बँटा हुआ था जिसका उल्लेख बौद्धग्रंथ'अंगुत्तरनिकाय' में मिलता है। इसमें मिथिला/विदेह वजि्ज महाजनपद की राजधानी हुआ करती थी।इसका अर्थ यह है कि इस समय मिथिला समृद्धशाली रहा होगा।
जैन साहित्य में मिथिला-
     जैन ग्रंथ 'भगवतीसूत्र' में भी वजि्ज जनपद का उल्लेख मिलता है। इसमें वजि्ज की राजधानी मिथिला को बताया गया है। इसमें वज्जि को गणतंत्र बताया गया है। ऐसे राज्यों का शासन राजा द्वारा न होकर गण अथवा संघ द्वारा होता था।

संकलन                                 सम्पादक
Shweta Mishra          Dr. Santosh Anand Mishra
Research Scholar      DAV Public School
Magadh University             Manpur
Bodhgaya, Gaya                   Gaya

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