सिक्किम स्थापना दिवस (16 May 1975)

सिक्किम स्थापना दिवस (16 May 1975)

भूमिका
सिक्किम स्थापना दिवस (Sikkim Statehood Day) हर वर्ष 16 मई को मनाया जाता है। यह दिन न केवल सिक्किमवासियों के लिए गौरव का प्रतीक है, बल्कि भारत के संघीय ढांचे की विविधता और एकता को भी दर्शाता है। 16 मई 1975 को सिक्किम भारत का 22वां राज्य बना था। इस ऐतिहासिक दिन ने न केवल सिक्किम के राजनीतिक भविष्य को बदल दिया, बल्कि इसकी सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक यात्रा में भी एक नया अध्याय जोड़ा।

सिक्किम का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य
सिक्किम एक समय में एक स्वतंत्र बौद्ध राजशाही था, जिसकी स्थापना 1642 ई. में हुई थी। यहाँ पर चोग्याल वंश के राजाओं का शासन था। 19वीं शताब्दी में सिक्किम पर ब्रिटिश प्रभाव बढ़ा और फिर 1947 में भारत की स्वतंत्रता के बाद यह एक "संरक्षित राज्य" (protectorate) बना रहा। भारत और चीन के बीच 1962 के युद्ध के बाद सिक्किम की सामरिक महत्ता और बढ़ गई।

भारत में विलय और राज्य का दर्जा
1970 के दशक की शुरुआत में सिक्किम में लोकतंत्र की मांग तेज हो गई। जनता राजशाही से असंतुष्ट थी। अंततः 1975 में एक जनमत संग्रह हुआ जिसमें अधिकांश लोगों ने भारत में शामिल होने का समर्थन किया। इसके बाद भारतीय संसद ने 36वें संविधान संशोधन द्वारा सिक्किम को भारत का पूर्ण राज्य घोषित कर दिया और 16 मई 1975 को इसे भारत का 22वां राज्य बना दिया गया।

संस्कृति और विशेषताएँ
सिक्किम भारत का एक ऐसा राज्य है जहाँ विभिन्न भाषाएँ, संस्कृतियाँ और धर्म एक साथ पनपते हैं। यहाँ लेपचा, भूटिया और नेपाली समुदायों की प्रमुख उपस्थिति है। सिक्किम बौद्ध संस्कृति का केंद्र रहा है, साथ ही यहाँ हिंदू धर्म, ईसाई धर्म और अन्य आस्थाओं के अनुयायी भी सद्भाव से रहते हैं।

यह राज्य अपनी प्राकृतिक सुंदरता, हिमालयी पर्वतों, झीलों और जैव विविधता के लिए प्रसिद्ध है। गंगटोक, इसकी राजधानी, पूर्वोत्तर भारत का एक प्रमुख पर्यटन केंद्र बन चुका है।

आज का सिक्किम
आज सिक्किम न केवल पर्यावरण संरक्षण में एक आदर्श राज्य है, बल्कि यह भारत का पहला पूर्णतः जैविक राज्य भी बन चुका है। यहाँ की शासन प्रणाली पारदर्शी, पर्यावरण-संवेदनशील और जनहितकारी मानी जाती है।

निष्कर्ष
सिक्किम स्थापना दिवस केवल एक ऐतिहासिक स्मृति नहीं, बल्कि एक प्रेरणा है—जो हमें यह सिखाती है कि लोकतंत्र, विकास और सांस्कृतिक एकता कैसे किसी क्षेत्र को समृद्ध बना सकते हैं। यह दिन भारत की विविधता में एकता के दर्शन का उत्सव है और हमें सिक्किम की सांस्कृतिक विरासत, प्राकृतिक संपदा और लोकतांत्रिक विकास यात्रा का सम्मान करने का अवसर देता है।


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