मिथिला का इतिहास भाग 3
मिथिला का इतिहास भाग 3 मिथिला के ओइनवार वंश अथवा सुगौना वंश ओइनवार वंश का शासन मिथिला क्षेत्र में था । इसे सुगौना राजवंश भी कहा जाता हैं। कर्णाट वंश के अंतिम राजा जब नेपाल चले गए। तब इन्होंने अपने सबसे योग्य मंत्री कामेश्वर ठाकुर को मिथिला का राजा घोषित कर दिया। खुद नेपाल में जाकर बस गए। कामेश्वर ठाकुर मैथिल ब्राम्हण थे। 1325 ई0 से 1353 ई० तक फिरोजशाह तुगलक जो दिल्ली सल्तनत का सुल्तान था। उसने मिथिला क्षेत्र में अराजकता और नृशंसता का ताण्डव करता रहा। इसी सुल्तान ने मिथिला क्षेत्र के ओइनवार वंश के कामेश्वर ठाकुर को मिथिला यानी तिरहुत का शासनाधिकार दे दिया । इसी समय से 1353 ई० में वे सही मायने में राजा बने। इनका कार्यकाल अधिक दिनों का नहीं रहा। इसके बाद इनके उत्तराधिकारी भोगेश्वर ठाकुर बने जो 1354 ई0 में राजा बनें। इनका कार्यकाल लगभग 6 वर्षों का रहा। इनकी मृत्यु के बाद भोगेश्वर ठाकुर का उत्तराधिकारी ज्ञानेश्वर ठाकुर को बनाया गया। इनकी मृत्यु के बाद ज्ञानेश्वर ठाकुर के दोनों पुत्रों में राज्य का बंटवारा हो गया एक पुत्र कीर्तिसिंह देव जिन्होनें 1402 ई0 से 1410 ई0 तक...