भारतेंदु हरीशचंद्र : हिंदी साहित्य के आदिकवि और आधुनिक युगपुरुष( 9 सितम्बर 1850 - 24 जनवरी 1885)
भारतेंदु हरीशचंद्र : हिंदी साहित्य के आदिकवि और आधुनिक युगपुरुष( 9 सितम्बर 1850 - 24 जनवरी 1885) परिचय हिंदी साहित्य में भारतेंदु हरीशचंद्र (1850–1885) का नाम स्वर्णाक्षरों में अंकित है। उन्हें “आधुनिक हिंदी साहित्य और हिंदी नाटक का जनक” कहा जाता है। साहित्य, पत्रकारिता, रंगमंच और सामाजिक सुधार—चारों क्षेत्रों में उन्होंने असाधारण कार्य किए। भारतेंदुजी ने हिंदी भाषा को साहित्यिक गरिमा और राष्ट्रीय चेतना का स्वरूप दिया। जीवन परिचय भारतेंदु हरीशचंद्र का जन्म 9 सितम्बर 1850 को काशी (वाराणसी) में हुआ। पिता गोपाल चंद्र (कविनाम—गिरधर दास) स्वयं कवि थे। किंतु पाँच वर्ष की अवस्था में ही माता-पिता का निधन हो गया। बचपन से ही काव्य और साहित्य में रुचि रखने वाले भारतेंदु ने संस्कृत, हिंदी, बंगला और अंग्रेज़ी का गहन अध्ययन किया। मात्र 34 वर्ष की आयु में, 24 जनवरी 1885 को, उन्होंने इस संसार से विदा ली। साहित्यिक योगदान 1. काव्य रचनाएँ भारतेंदु की कविताओं में राष्ट्रीयता, सामाजिक सुधार और भक्ति का सुंदर समन्वय मिलता है। भारत दुर्दशा (भारत की दयनीय दशा का चित्रण, राष्ट्रीय चेतना जगाने वाली कृति) वृजभ...